death anniversary of Dara Singh

10th death anniversary of Dara Singh : जिसने दुनिया के हर बड़े पहलवान को हराया, 200 किलो के किंग कोंग को दारा सिंह ने उठाकर रिंग से फेंक दिया।

दारासिंह की 10वीं पुण्यतिथि (Death anniversary of Dara Singh) : भारत के रूस्तम ए हिंद कहे जाने वाले दारा सिंह का पूरा नाम। दारा सिंह रंधावा था।आज ही के दिन 12 जुलाई 2012 को दारा सिंह की मृत्यु हार्ट अटैक के कारण मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में हो गया था। दारा सिंह ने अपने रेसलिंग कैरियर में 500 से भी ज्यादा मैच खेले लेकिन एक भी मैच में वह पराजित नहीं हुए इसके अलावा वह 1952 में एक्टिंग करियर की शुरुआत किया।

19 साल की उम्र से ही लड़ना शुरू किए थे।

दारा सिंह (पूरा नाम : दारा सिंह रन्धावा) अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहे हैं। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्का को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। 1968 में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये।

उन्होंने पचपन वर्ष की आयु तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी पराजय का मुँह नहीं देखा। 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीतने के पश्चात कुश्ती से सम्मानपूर्वक संन्यास ले लिया। उन्होंने पचपन वर्ष तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी पराजय का मुँह नहीं देखा ।

दारा सिंह ने दो शादियां की

दारा सिंह ने दो शादियां की थी| उन्होंने पहली शादी 1942 में पंजाबी एक्ट्रेस बचनो कौर से किया था। लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चला और 10 सालों के बाद 1952 में दोनों अलग हो गए। इसके बाद उन्होंने दूसरी शादी सुरजीत कौर रंधावा से की जो उनके आखिरी समय तक साथ रहे। दोनों ही सदियों से दारा सिंह को 6 बच्चे हुए।

हनुमान के रोल से मिली सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थी।

80 के दशक में आई रामानंद सागर के सीरियल रामायण में हनुमान का किरदार दारा सिंह जी ने निभाया था। यह किरदार इतना जीवंत हुआ की भारत के हनुमान के रूप में जाना जाने लगा। इसके अलावा उन्होंने 1976 में आई फिल्म ”बजरंगबली” में भी हनुमान का रोल निभाया था।

उन्हें टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमान के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली। उन्होंने अपनी आत्मकथा मूलत: पंजाबी में लिखी थी जो 1993 में हिन्दी में भी प्रकाशित हुई। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया। वे अगस्त 2003 से अगस्त 2009 तक पूरे छ: वर्ष राज्य सभा के सांसद रहे ।

दुनिया के हर बड़े रेसलर को हराया

1947 में दारा सिंह सिंगापुर आ गये। वहाँ रहते हुए उन्होंने भारतीय स्टाइल की कुश्ती में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को पराजित कर कुआलालंपुर में मलेशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप जीती। उसके बाद उनका विजय रथ अन्य देशों की चल पड़ा और एक पेशेवर पहलवान के रूप में सभी देशों में अपनी धाक जमाकर वे 1952 में अपने वतन भारत लौट आये। भारत आकर 1954 में वे भारतीय कुश्ती चैम्पियन बने ।

कनाडा और न्यूजीलैंड के पहलवानों ने दिया था चुनौती

इसके बाद उन्होंने कामनवेल्थ देशों का दौरा किया और विश्व चैम्पियन किंगकांग को परास्त कर दिया। बाद में उन्हें कनाडा और न्यूजीलैण्ड के पहलवानों से खुली चुनौती मिली। अन्ततः उन्होंने कामनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशिप में कनाडा के चैम्पियन जार्ज गारडियान्का एवं न्यूजीलैण्ड के जान डिसिल्वा को धूल चटाकर यह चैम्पियनशिप भी अपने नाम कर ली। यह 1959 की घटना है।

दारा सिंह ने उन सभी देशों का एक-एक करके दौरा किया जहाँ फ्रीस्टाइल कुश्तियाँ लड़ी जाती थीं। आखिरकार अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को 29 मई 1968 को पराजित कर वे फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीता और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के हाथों अपराजेय पहलवान का खिताब अपने पास बरकरार रखते हुए कुश्ती से सम्मानपूर्वक सन्यास ले लिया।

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