Aadhaar-Voter ID Link:क्यों पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक कराना अनिवार्य है

Aadhaar-Voter ID Link: क्यों पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक कराना अनिवार्य है

नमस्कार दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे हाल ही में चर्चा में रहे एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर। और वह विषय है कानून संशोधन विधेयक 2021, जिसमें कहा गया है कि पहचान पत्र को आधार से लिंक कराना है।

बिल्कुल आ गया बताइए, इसका विरोध क्यों हो रहा है और  क्या है?कानून संशोधन विधेयक, 2021

क्यों पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक कराना अनिवार्य है।हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा एक बिलके बारे में परिचित कराया गया है। इस बिल में यह कहा गया है कि पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक कराना अनिवार्य है। हालांकि इस बिल पर काफी हंगामा हुआ। लेकिन इन सभी हंगामे के बावजूद यह बिल पास हो गया। इस बिल को चुनाव सुधार बिल के नाम से जाना जा रहा है।

भारत के अंदर जितनी सारी चुनाव संबंधी प्रक्रिया आए हैं, वह किस कानून से होती है?

भारत के अंदर जितनी सारी चुनाव संबंधी प्रक्रिया है वह सरकार जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 और जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत करी जाती हैं। इसी कानून के तहत आधार कार्ड बनाया जाता है। पहचान पत्र का बनना या फिर आचार संगीता भी इसी कानून के तहत लगाया जाता है सोमवार को भारत के। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने एक कानून लाया। इस कानून को चुनाव संशोधन कानून 2021 कहां जा रहा है। इस कानून के तहत पहचान पत्र को आधार से लिंक कराना अनिवार्य हो गया है।

पहचान पत्र को आधार से लिंक कराने के फायदे क्या है?

लोकसभा में चुनाव संशोधन विधेयक 2021 पास करते समय किरण रिजिजू ने ज्ञापन दिया है और साथ ही साथ पहचान पत्र को आधार से लिंक कराने के फायदे के तौर पर यह बातें बताई गई हैं। इनमें सबसे पहली बात यह बताया गया है

कि एक ही नाम से कई अलग-अलग स्थानों के तौर पर पहचान पत्र बनाए गए हैं। यह पहचान पत्र किसी व्यक्ति का किसी स्थान पर लंबे समय तक रहने के बाद बनाया जाता है। तत्पश्चात अगर वह व्यक्ति वहां से किसी दूसरे स्थान पर चला जाता है। तब वह व्यक्ति वहां की पहचान पत्र के लिए योग्य हो जाता है और वह वहां भी पहचान पत्र बनवा लेता है। अगर पहचान पत्र को आधार से लिं कराया जा सकता है तो यह सारी संभावनाओं पर समस्याओं पर रोक लगाया जा सकता है।

और साथ ही साथ यह भी कहा गया है कि अगर पहचान पत्र को आधार से लिंक  करा दिया जाता है तो वोटरों को। दो डेटाबेस मिल जाएगा जिससे मतदान देने में उनको सहायता ले की। और साथ ही साथ ज्यादा से ज्यादा वोटरों को अलग-अलग दूर डेटाबेस मिलने के पश्चात मतदान में सहायता मिलेगी।

इसी के साथ यह भी कहा गया है कि पहचान पत्र को आधार से लिंक करा   देने पर प्रवासी वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी हो कि एक व्यक्ति अलग-अलग स्थानों में आधार के डेटाबेस से जुड़कर के वोट देने में सक्षम होगा। मंत्री जी ने यह भी कहा है कि कई व्यक्तियों जो अलग-अलग स्थान पर निवास करते हैं कि द्वारा विभिन्न विभिन्न जगहों की पहचान पत्र रखने की जरूरत नहीं होगी एक बार पहचान पत्र को आधार से लिंक करा देने पर।

जितने सारे जगहों के पहचान पत्र हैं, सभी को डिलीट कर दिया जाएगा और एक ही आस्थान के पहचान पत्र पर उस व्यक्ति को रहना होगा। साथ ही साथ यह भी कहा गया है कि बहुत से लोग ऐसे हैं जो जाली पहचान पत्र। बनवाकर के कई सारे जगहों पर आवेदन दे देते हैं। पहचान पत्र का आधार कार्ड से लिंक होने के पश्चात यह पता चल जाएगा कि कोई व्यक्ति कितना पहचान पत्र बनवाया है तथा ओरिजिनल पहचान पत्र की भी जांच हो जाएगी।

पहचान पत्र को आधार से लिंक कराने को लेकर के क्यों विपक्ष विरोध कर रहा है?

विपक्ष ने सबसे बड़ा तर्क यह दिया है कि अगर पहचान पत्र को आधार से लिंक करा  दिया जाता है तो व्यक्तियों की निजता का उल्लंघन होगा। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर पहचान पत्र को आधार से लिंक करा दिया जाता है तो? जिस तरह से पहचान पत्र के कई जाली बनाए जा सकते हैं तो हो सकता है कि भविष्य में आधार के साथ भी ऐसा छेड़छाड़ हूं जिससे व्यक्तियों की वाइब्रेटिंग जानकारियां की होने की संभावना और बढ़ती है।

उन्होंने यह भी कहा है कि? सरकार के द्वारा अब ऑथराइज 2 पहचान पत्र होंगे जिनका कई लोग गलत फायदा भी उठा सकते हैं। साथ-साथ विपक्ष ने यह भी कहा है कि हैकिंग से? आपकी निजी जानकारियों को अब और भी ज्यादा डर होगा क्योंकि आधार में आपका बायोमेट्रिक जानकारियां सरकार के पास पहले से ही उपलब्ध है और पहचान पत्र से जुड़ जाने के बाद।

विपक्ष ने यह भी कहा है कि पहले सिर्फ आधार से आपकी बायोमेट्रिक जानकारी है कि सरकार के पास हुआ करती थी लेकिन पहचान से जुड़ जाने के बाद आपकी निजी जानकारियों के साथ-साथ पति भी ठाकुरों के नजरों में आ जाएंगे और इससे प्रवासी वोटरों को बहुत ही ज्यादा दिक्कत हो सकता है।

इसके साथ ही अब विपक्ष ने सबसे बड़ा तर्क यह दिया है कि इससे निजता का उल्लंघन सबसे ज्यादा होगा।

क्या है K L pittuswami केस मामला

लोकसभा में कानून संशोधन विधेयक 2021 पास होने के क्रम में ओवैसी ने अपना तर्क देते हुए कहा है कि?कर्नाटक के एक जज जिनका नाम के K L pittuswami था।उन्होंने जनहित याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट में या कहा कि यदि आधार कार्ड जो बनाया जा रहा है उनकी इंफॉर्मेशन को हर चीज से लिख कर दिया जाएगा तो? ऐसी स्थिति के अंदर किसी व्यक्ति के निजता का पूरा उल्लंघन किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस याचिका पर निर्णय लेते हुए वर्ष 2018 के अंदर कहा था कि जो आधार कार्ड है, उसकी अनिवार्यता को सीमित कर दिया गया। और यह भी कहा कि आधार कार्ड को हर जगह अनिवार्य करना। लोगों की निजता का उल्लंघन हो रहा है।कोर्ट ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताएं।लेकिन इसके बाद सरकार ने आधार कार्ड को ऑप्शनल बना दिया।

 

मतलब कि अगर आपका मन हो तो आप आधार को कहीं भी लिंग करावे और इसकी जानकारी आपको इस चीज से हो जाएगी कि अभी के समय में आप कहीं भी फॉर्म अप्लाई करते हो तो उसमें आपको ऑप्शन दिए जाते हैं कि आप कौन सा डॉक्यूमेंट देना चाहते हो और वहां पर आधार कार्ड पूरी तरह से अनिवार्य नहीं रहता है।

क्या पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ना अनिवार्य है?

सरकार ने लोकसभा में बिल पास कर आते समय यह भी कहा है कि, हम सिर्फ पहचान पत्र को आधार से लिंक कराने  की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं, लेकिन यह प्रक्रिया अस्थाई रूप से अनिवार्य नहीं है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप? पहचान! आधार से लिंक कराना चाहते हैं या नहीं। अगर आपका मन पहचान पत्र को आधार से लिंक कराने  का करता है,तो आप लिंक कराइए अगर आपका मन आधार को लिंक कराना  नहीं करता है तो आप मत करो।

क्या है आधार कार्ड का इतिहास

साथियों आप सभी को पता है कि आधार कार्ड का एक पुराना इतिहास रहा है? वर्ष 2009 में सबसे पहले आधार कार्ड के लिए UIDAIका गठन किया गया था इसकी अध्यक्षता नंदन नीलेकणी किया था।

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