Devshayani Ekadashi 2022: इस दिन है देवशयनी एकादशी, देवशयनी एकादशी व्रत क्यों करनी चाहिए? जानें शुभ मुहूर्त, व्रत नियम और उपाय

Devshayani Ekadashi 2022: देवशयनी एकादशी व्रत क्यों करनी चाहिए? जानें शुभ मुहूर्त, व्रत नियम और उपाय

Devshayani Ekadashi 2022: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकाशी को ‘देवशयनी’ तथा वाद्य पक्ष की एकादशी को ‘कामिका एकादशी’ कहा जाता है।वर्ष की चौबीस एकादशियों में आषाढ़ी एकादशी का विशेष स्थान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी यानि देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी यानि देवोत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु योग निद्रा के लिए चले जाते हैं और इन चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.

ऐसा कहते हैं कि देवशयनी एकदाशी के दिन से भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा में चले जाते हैं… इसके बाद भगवान कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं| इस अवधि को चतुर्मास कहा जाता है, जिसमें सभी शुभ और मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं| इस साल देवशयनी एकादशी रविवार, 10 जुलाई को पड़ रही है.

देवशयनी एकादशी व्रत क्यों करनी चाहिए?(Devshayani Ekadashi kiu karni chahiye)

भारतीय संस्कृति में, मनुष्यों से कहा गया है कि वे नेक तरीके से व्यवहार करने और धार्मिकता का पालन करने के लिए तरह-तरह के व्रत करें। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मानव मन पर धीरे-धीरे बुरे विचार आ रहे हैं। मनुष्य और जानवरों के बीच महत्वपूर्ण अंतर बुद्धि है जो नैतिकता की जांच करती है।

हम जानते हैं कि महर्षि व्यास ने “परोपकाराय पुण्य” के सार्वभौमिक सिद्धांत का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसके अनुसार कार्य करना एक कठिन कार्य है। इससे कमोबेश हर कोई वाकिफ है। यदि आप इस मार्गदर्शक महासूत्र को प्रयास से अभ्यास करना चाहते हैं, तो इंद्रियों को मन कहा जाना आवश्यक है। हमारे प्रत्येक कर्मकांड का सर्वोच्च लक्ष्य मन की स्वाभाविक बेचैनी को कम करना और सचेतनता का अभ्यास करना है।

उपनिषदों के अनुसार, शरीर रथ है, इंद्रियां घोड़ा और मन लगाम है, इसलिए मन को नियंत्रित करना सफलता का मार्ग है। दस इंद्रियों के बाद मन को शास्त्रों द्वारा ग्यारहवीं इंद्रिय के रूप में पहचाना जाता है, इसलिए भारतीय संस्कृति में ग्यारहवीं (ग्यारहवीं तिथि) का असाधारण महत्व है। यदि आप अपने मन को वश में करना चाहते हैं तो एकादशी का व्रत करना फलदायी होता है।

देवशयनी एकादशी पर शुभ योग कब बन रहा है?(Devshayani Ekadashi par shubh yog kab ban raha hai)

पंचांग के अनुसार इस साल देवशयनी एकादशी 09 जुलाई को सायंकाल 04:39 से प्रारंभ होकर 10 जुलाई 2022 को दोपहर 02:13 तक रहेगी. 10 जुलाई को पड़ने वाली देवशयनी एकादशी के दिन प्रातःकाल रवि योग प्रात:काल 05:31 से 09:55 तक रहेगा.

देवशयनी एकादशी का महाउपाय(Devshayani Ekadashi ka mahaupay)

देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए यदि संभव हो तो प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर गंगा स्नान करना चाहिए और यदि आप गंगा तट पर न जा पाएं तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और उसके बार इस व्रत का संकल्प करें| इसके बाद भगवान विष्णु को दूध-दही, शहद, शक्कर, घी और गंगा जल से स्नान कराकर विधि-विधान से पूजा करें. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र
‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए. एकादशी के दिन विशेष रूप से गाय को केले खिलाना चाहिए|

देवशयनी एकादशी व्रत करने से क्या फल मिलता है?

देवशयनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है कियह व्रत करने से बहुत से लाभ मिलता हैं।

1.स्वास्थ अच्छा होता है।
2.पापों से मुक्ति मिलती है।
3.सौभाग्य की प्राप्ति होती है,
4.आर्थिक तंगी दूर होती है।

देवशयनी एकादशी व्रत नियम (Devshayani Ekadashi Vrat Niyam)

देवशयनी एकादशी व्रत कुछ नियमों का पालन करने की शपथ लेनी चाहिए |

(1) सत्य बोलना
(2) स्त्री को माता के समान व्यवहार करना,
(3) दुर्घटना होने पर ईश्वर से क्षमा की प्रार्थना करना,
(4) बिना शराब के सात्विक भोजन करना,
(5) एकादशी का पखवाड़े का व्रत करना,
(6) वर्ष में कम से कम एक बार पंधारी वारी करना,
(7) नित्य प्रतिदिन 108 बार ‘रामकृष्णहरि’ मंत्र का जाप करना,
(8) नियमित रूप से हरिपथ का जप करना और ज्ञानेश्वर की कुछ कविताओं का नियमित पाठ करना और
(9) प्रभु के स्मरण में निष्ठा से संसार में दैनिक कर्म करना ।
(10) कभी भी तुलसी की डोरी को गले से कभी भी न हटाएं।
(11) एकादशी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनें.

 

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