जानिए बेल को इंग्लिश में क्या कहते हैं? Bael (Wood apple) Benefits and Side Effects in Hindi

Why is Baelpatra important : दोस्तों क्या आप जानते है बेलपत्र महत्त्वपूर्ण क्यों माना जाता है ? शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाने चाहिए तथा बेल के शरबत पीने के महत्त्वपूर्ण फायदे के बारे में आप जानते है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे बेलपत्र महत्त्वपूर्ण क्यों है तथा बेल के शरबत के महत्त्वपूर्ण फायदे के बारे में इस आर्टिकल मे बताया गया है। अगर आप बेल से जुड़े महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करना है तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें है।

बेल क्या है? – What is Bael in Hindi

बेल एक महत्त्वपूर्ण फल का पेड़ है। जिनको पत्ते से लेकर फलों तक भगवान शिव जी को बहुतही लोकप्रिय है। हिन्दूधर्म के अनुसार पूरे सावन (श्रावण) के महीने में भगवान शिव (शिवलिंग) पर शिवभक्त बेलपत्र को अर्पित करते है। इस प्रकार सावन (श्रावण) महिना हिंदुओं का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार माना जाता है।

बेल दो प्रकार के पाए जाते है एक तो लोग इसको उगाते है जिसका फल बड़े होते है। और दूसरा जंगलों में पाया जाता है। बेल का पेड़ भारत में लगभग सभी जगहों पर पाया जाता है। इसके फल की ऊपरी सतह हल्के हरे रंग के तथा चिकना होते है। जो की पकने के बाद पीले रंग का हो जाता है जबकि इसके गुर्दे रेसेदार तथा मीठा होता है, स्वद में कभी कभी हल्का तीखा लगता है| इसके फल का शरबत बनाकर पीने से महत्त्वपूर्ण फायदे है। बेल कई रोगों से मुक्त करता है मानो गैस के लिए रामबाण है।

बाजार में लगभग सभी जगहों पर आसानी से मिल जाती है। इसके पत्तियां तीन पत्तियां की आकार (तीन पत्तों एक साथ) की होती है जो भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। इसके पेड़ 15 से लेकर 40 फीट तक ऊच्चे तथा उसके टहनियों में बड़े-बड़े काटों से भरे होते है। बेल का पेड़ भारत के अलावा कई और देशों में भी पाया जाता है।

 

बेलपत्र महत्त्वपूर्ण क्यों है ?  

बेलपत्र को इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि बेलपत्र के तीन पत्तियां की आकार यानि (तीन पत्तों को एक साथ) भगवान शिव जी का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से मान्यता है की बेल की जड़ (मूल) में महादेव जी का वास होता है तथा बेलपत्रों में (तीन पत्तों को एक साथ) भगवान शंकर का स्वरूप होता है। इसीलिए बेलपत्र को इतना महत्त्वपूर्ण होने के कारण बेल के पौधे को मंदिरों के पास लगाया जाता है।

भगवान के शिवलिंग पर पूरे सावन (श्रावण) महीना में शिवभक्त बेलपत्र (Baelptra) को अर्पित करते है। श्रावण महीना में शिवभक्त , स्त्री और कुवाँरी कन्या सभी प्रत्येक सोमवार को व्रत रखते तथा बेलपत्र से पूजा करती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ जी को बेलपत्र बहुत प्रिय है जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ जी को महाशिव रात्री चतुर्दशी के दिन प्रेमपूर्वक बेलपत्र तथा जल अर्पित करते है उनका हर मनोकामना पूर्ण होती है।

कथा के अनुसार बताया जाता है कि एक बार भील नामक एक डाकू रहता था जो जंगल के आते-जाते लोगों को धन लूटा करता था, इस धन से उसके परिवार वालों का जीवनयापन चलता था किन्तु एक दिन की बात है, उस डाकू को सारा दिन गुजर गया किन्तु उस जंगल के रास्ते से कोई भी राहगीर नहीं आया जिस वजह से डाकू का सारा दिन इंतजार में गुजर गया| अब उनके पास घर ले जाने के लिए कुछ भी धन नहीं था जो अपने परिवार वालों को खाने के लिए कुछ दे सके इस वजह से उसी जंगल में राहगीरों की इंतजार में रात हो गई और पेड़ के ऊपर जाकर बैठ गया।

इसी इंतजार में डाकू बैठा था कि कोई राहगीर आए और उसके धन को लूट कर अपने परिवार को धन लेजा कर दे सके और इसी सोच में बैठा हुआ पेड़ की पत्तियां तोड़तोड़ कर फेकने लगा संयोग से वह बेल का पेड़ था ,उसके नीचे भगवान भोलेनाथ जी का शिवलिंग स्थापित था जहां पर बेलपत्र को वह फेक रहा था डाकू के द्वारा अनजाने में फेके जाने वाले बेलपत्र से भगवान भोलेनाथ जी प्रसन्न हो गये तथा भील नामक डाकू को दर्शन दिए भगवान शिव शंकर बोले कि वत्स वरदान मांगों और उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति महाशिवरात्री के दिन बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करेगा उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी इस कथा के अनुसार बेलपत्र महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

भगवान भोलेनाथ जी की महिमा आपार है। सावन महीना में बेलपत्र से पूजा करना बहुत ही धार्मिक माना जाता है | सावन (श्रावण) मास में काँवरियाँ सुल्तानगंज से जल उठाकर बाबा बैजनाथधाम 110 किलोमीटर पैदल चलकर शिवभक्तों बाबा बैजुनाथ पर बेलपत्र तथा जल चढ़ाते है। यहाँ पूरे सावन में मेला लगा रहता है। जो भी भक्तजन सच्चे मन से बाबा बैजनाथ धाम में शिवलिंग पर बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करते है, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होता है| बेलपत्र को महत्त्वपूर्ण इसलिए भी माना गया है, क्योंकि सावन महीना में सोमवार के साथ-साथ प्रत्येक दिन शिवभक्त भगवान भोलेनाथ जी की शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र अर्पित करते है। पूरे सावन महीने भगवान भोलेनाथ जी की पूजा होती है। इस महीने में अनेक व्रत-त्योहार मनाया जाता है जैसे हरियाली तीज, सोमवार व्रत, सावन (श्रावण) पूर्णिमा रक्षाबंधन ।

शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाने चाहिए |

हिन्दू धार्मिक-ग्रंथों के अनुसार 3 पत्तों से लेकर 11 पत्तों तक शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ भक्तों पर बहुत प्रसन्न होते है। आप माने तो 3-11 पत्तों तक बेलपत्र चढ़ाने से महत्त्वपूर्ण माना जाता है इसलिए जब भी आप भगवान भोलेनाथ जी की शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए तो बेलपत्र उल्टा करके शिवलिंग को स्पर्श तथा मंत्र को जाप करते हुए जल के साथ अर्पित करना चाहिए। ऐसे शस्त्रों के अनुसार अधिक-से-अधिक पत्तियों वाला बेलपत्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता है। शिवलिंग पर पाँच पत्तियों वाला बेलपत्र को अर्पित करना बहुत-ही महत्त्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि भगवान शिव जी की पूजा अनेक प्रकार से की जाती है। शिवपूजा से आपार शक्ति मिलने के साथ-साथ शिवभक्तों को मनोकामना भी पूर्ण होती है।

बेल का उपयोग – How to Use Bael in Hindi

बेल का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है।
1. बेल के गूदे से जूस बनाया जाता है जो काफी मीठा और स्वादिष्ट होता है।
2. बेल के फल से शरबत भी बनाया जाता है। जो गर्मियों के मौसम में शरीर को ठंडक और उर्जा दिलाती है।
3. बेल से मुरब्बा बनाया जाता है।

बेल के फायदे – Benefits of Bael (wood apple) in Hindi

 

1. पेट में गैस, कब्ज जैसी समस्याओ के लिए बेल का शरबत बहुत-ही महत्त्वपूर्ण है।
2. बेल कैंसर से बचाव करता है।
3. आँतों के रोगों के लिए महत्त्वपूर्ण औषधि है
4. बवासीर जैसी रोगों से मुक्त करता है।
5. शरीर को ठंढक बनाए रखता है।
6. दिल से जुड़ी रोगों में सहायक होता है।
7. भूख की समस्याओं के लिए बेल महत्त्वपूर्ण औषधि माना जाता है।
8. पाचन क्रिया में बहुत-ही लाभदायक माना जाता है।

बेल के नुकसान – Side Effects of Bael in Hindi

 

बेल खाने से निम्नलिखित नुकसान देखने को मिल सकते हैं
1. बेल खाते समय इसके बीज को निकाल लें, नहीं तो इसके बीज गले में फंस सकते हैं।
2. बेल में शुगर की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जिसका अधिक सेवन टाइप 2 डायबिटीज व हाई ब्लड प्रेशर का कारण भी बन सकता है, इसलिए इसके अधिक सेवन से बचें।
3. बेल में फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। किडनी की बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए अधिक फास्फोरस नुकसान पहुंचा सकता है|
4. बेल में कैल्शियम की मात्रा भी पाई जाती है, जिसका अधिक सेवन किडनी स्टोन का कारण बन सकता है
5. बेल का पत्ता खाने के नुकसान सेहत के लिए हो सकते हैं। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से बेल के शरबत के नुकसान भी हो सकते हैं।

FAQ about WOOD APPLE

क्या रोजाना बेल का सेवन किया जा सकता है ?

दोपहर में बेल का सेवन करना सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हालांकि 1 दिन में एक व्यक्ति को 100 ग्राम ही बेल खाना चाहिए। या कहे तो 1 दिन में एक कप बेल का जूस ही सेवन करना चाहिए।

क्या बेल को कच्चा खाया जा सकता है?

हां, बेल के गूदे को कच्चा खाया जा सकता है।

क्या खाली पेट बेल के जूस का उपयोग कर सकते हैं?

बेशक आप खाली पेट बेल का जूस सेवन कर सकते हैं। लेकिन आपको अपने डॉक्टर से इसके लिए सलाह भी लेनी चाहिए।

क्या किडनी की समस्या में बेल फायदेमंद है?

हां, किडनी की समस्या वाले रोगियों के लिए बिल फायदेमंद होता है?

बेल को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

बेल को इंग्लिश में Wood Apple कहते हैं?

बेलपत्र को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

बेलपत्र को इंग्लिश में Vines leaves कहते हैं?

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