रेप पीड़िता की जांच कैसे होती है।

रेप पीड़िता की जांच कैसे होती है।

टू फिंगर टेस्ट एक मेडिकल टेस्ट होता है।

टू फिंगर टेस्ट एक मेडिकल टेस्ट होता है।

यह टेस्ट बलात्कार पीड़िता पर किया जाता है

यह टेस्ट बलात्कार पीड़िता पर किया जाता है

जब किसी लड़की का बलात्कार होता है तो सुबूत के लिए या कानूनी कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए पीड़िता का जो मेडिकल टेस्ट कराया जाता है

जब किसी लड़की का बलात्कार होता है तो सुबूत के लिए या कानूनी कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए पीड़िता का जो मेडिकल टेस्ट कराया जाता है

उसे ही टू फिंगर टेस्ट कहते हैं

उसे ही टू फिंगर टेस्ट कहते हैं

टू फिंगर टेस्ट बिल्कुल भी मानवीय नहीं है

टू फिंगर टेस्ट बिल्कुल भी मानवीय नहीं है

टू फिंगर टेस्ट को कोर्ट ने इसे 2013 में बैंन कर दिया

इसमे डॉक्टर अपने उगलियों को पीड़िता के योनि में डालकर यह बताता है

इसमे डॉक्टर अपने उगलियों को पीड़िता के योनि में डालकर यह बताता है

कि पीड़िता के साथ संभोग हुआ है या नहीं

कि पीड़िता के साथ संभोग हुआ है या नहीं

सर्वप्रथम टू फिंगर टेस्ट 1898 में किया गया था।

सर्वप्रथम टू फिंगर टेस्ट 1898 में किया गया था।

इस आधुनिक युग में कई सारे देशों में टू फिंगर टेस्ट का प्रयोग

इस आधुनिक युग में कई सारे देशों में टू फिंगर टेस्ट का प्रयोग

महिलाओं की वर्जिनिटी जांच करने के लिए की जाती है।

महिलाओं की वर्जिनिटी जांच करने के लिए की जाती है।

महिलाओं की वर्जिनिटी जांच करने के लिए की जाती है।

महिलाओं की वर्जिनिटी जांच करने के लिए की जाती है।